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400 लाख खर्च कर रेलवे ने कराया फिर घटिया निर्माण

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400 लाख खर्च कर रेलवे ने कराया फिर घटिया निर्माण

सागर । रेलवे के निर्माण कार्यों में घटिया सामग्री का उपयोग किए जाने की सूची में पिपरिया किरकिट में 400 लाख रूपए़ से अधिक की लागत में बनाए गए अंडरब्रिज का भी नाम जुड़ गया है। स्थानीय लोगों द्वारा निर्माण कार्य में गुणवत्ता को लेकर लगाता अवाज उठाई जाती रही है, लेकिन रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी पूर्व के गुणवत्ताहीन कार्यों में हुई लीपापोती की तरह ही इस घटिया निर्माण कार्य पर भी चुप्पी साधकर मामले को दबाने में लगे हैं।

रेलवे विभाग अधिकांश रेलवे फाटको को बंद कर आने-जाने के लिए करोड़ों रूपए के अंडरब्रिज बना रहा है, लेकिन कुछ अंडरब्रिज को छोड़कर अधिकांश निर्माण कार्यों में विभाग द्वारा गुणवत्ता को पूरी तरह नजरांदाज किया गया है।

नया मामला पिपरिया किरकिट-गुड़ा बम्होरी को जोडऩे वाले रेलवे फाटक 34 पर 400 लाख रूपए की लागत से बनाए गए अंडर ब्रिज का है। इस अंडरब्रिज के निर्माण में रेत की जगह डस्ट का उपयोग किया गया है। जो कि इस ब्रिज की

मजबूती पर सवालिया निशान लगाती है। वहीं ब्रिज के निर्माण में तकनीकी खमियां भी नजर आ रही हैं। इस अंडरब्रिज की गुणवत्ता की जांच करने के लिए निर्माण एजेंसी द्वारा नियमानुसार न तो लैब लगाई गई और न ही रेलवे अधिकारियों ने इसके लिए कोई नोटिस जारी किया। गंभीर स्थिति होने के बाद भी अधिकारियों का हीला-हवाली भरा रवैया बड़ी कमीशनखोरी की तरफ इशारा कर रहा है।

रिर्टन बॉल की गुणवत्ता पर सवाल अंडरब्रिज के दोनों ओर करीब सौ-सौ मीटर की दोनों साइड रिर्टन बॉल बनाई गई

है। एम 35 स्ट्ैन्थ की बॉल की गुणवत्ता बहुत ही घटिया है। निर्माण कार्य में डस्ट का उपयोग किया गया है। हर लिफ्ट में अत्याधिक हनीकोम निकले है और उन्हें मसाले से जैसे तैसे भर दिया गया है। स्टरिंग कार्य भी बहुत ही

घटिया है और जगह.जगह बॉल फैल गई हैए पर अधिकारी घटिया निर्माण कार्य को नजरांदाज कर ब्रिज का फाइनल बिल देने की तैयारी कर रहे हैं।

प्रीकास्ट बॉक्स में भी हनीकौम अंडरब्रिज के लिए जो प्री कास्ट बॉक्स बनाए गए हैं उनकी गुणवत्ता भी बहुत

घटिया है। पूरी बॉल में हनीकौम दिखाई दे रहे है जिन्हें मसाले से भर दिया गया है। बॉक्स के राफ्ट और स्लैब को जोडऩे वाले हंच में हनीकौम और गंदे तरीके मसाले से भरना स्पष्ट दिखाई देता है। एक फीट पानी भरा पूरे अंडरब्रिज को बनाए जाने में तकनीकी खमिया भी स्पष्ट दिखाई देती है। अंडरब्रिज में से बरसाती पानी निकलने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है। वर्तमान में भी ब्रिज में करीब एक फीट पानी भरा हुआ है। स्थिति यह है कि बरिश के दिनों में दो से तीन फीट पानी इस ब्रिज रहेगा और स्थानीय लोगों का इस ब्रिज से निकलना संभव नहीं होगा। जिससे इस ब्रिज को बनाए जाने उद्देश्य ही खत्म हो जाता है।

डस्ट से बनी सीसी रोड ब्रिज तक पहुंचने के लिए दोनों तरफ करीब सौ.सौ मीटर की अप्रोच सीसी रोड

का निर्माण किया गया है। सीसी रोड का निर्माण कार्य घटिया साम्रगी से किया गया है। पूरा कांक्रीट कार्य में डस्ट का उपयोग किया गया है जिससे सीसी रोड का पहली ही बारिश में उखडऩे की आशंका है। सीसी रोड के निर्माण

में लेवल को लेकर भी तकनीकी खामिया हैं और सीसी रोड का ढाल को जैसे-तैसे बना दिया गया है।

अधिकारी लगे लीपापोती में करोड़ों रूपए के निर्माण कार्यो को लेकर रेलवे अधिकारियों का रवैया कई

सवालिया निशान लगा रहा है। इससे पूर्व भूतेष्वर रेलवे फाटक को बंद कर बनाए गए 5 करोड़ से अधिक की राशि के अंडरब्रिज का घटिया निर्माण कार्य सुर्खियों में रहा था। यहां की सीसी रोड छह माह में ही उखड़ गई थी। पर

अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की। यहीं स्थिति अप्सरा टॉकीज पर बनाए गए अंडरब्रिज की सीसी रोड भी उखडऩे लगी है। स्थानीय लोगों के साथ ही जनप्रतिनिधियों द्वारा भी कार्यों की जांच और दोषियों पर कार्रवाई किए

जाने के लिए अधिकारियों से मांग की गईए लेकिन रेलवे अधिकारी मामलों की लीपापोती में ही लगे हुए हैं।

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