मेडिकल कॉलेजों में दवाओं और उपकरण खरीदने में नहीं होगी देरी
Jun 14, 2024, 10:29 IST
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भोपाल । मध्य प्रदेश के 13 स्वशासी मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में अचानक किसी उपकरण, दवा की आवश्यकता होने पर तत्काल खरीदी की जा सकेगी। साथ ही मरम्मत के लिए शासन से राशि मिलने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। इसके तहत अलग-अलग काम के लिए डीन और अस्पताल अधीक्षकों के स्वशासी मद से खर्च के वित्तीय अधिकार कई गुना बढ़ाने की तैयारी है। डीन 25 लाख तो अस्पताल अधीक्षक 10 लाख रुपये तक के उपकरण खरीद सकेंगे। इसी प्रकार डीन 10 लाख तो अधीक्षक पांच लाख रुपये के उपकरण, प्लांट या मशीनों को सुधारने के लिए राशि स्वीकृत कर सकेंगे।
सफाई, दवा खरीदी, उपकरणों का वार्षिक रखरखाव और मरम्मत के लिए डीन व अधीक्षक को क्रमश: पांच लाख और ढाई लाख रुपये के वित्तीय अधिकार मिलेंगे। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर शासन से स्वीकृति मिलनी है। अभी यह अधिकार अलग-अलग कॉलेजों के लिए विभिन्न शीर्ष में अधिकतम 10 लाख रुपये तक का है। मध्य प्रदेश के 14 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सतना छोड़ दें तो बाकी 13 स्वशासी हैं। मरीजों से शुल्क, विद्यार्थियों की शुल्क और अन्य मदों से आने वाली राशि स्वशासी समिति के खाते में जमा होती है। अचानक कोई आवश्यकता होने पर इस मद से राशि खर्च की जा सकती है, पर इसके लिए कार्यकारिणी से अनुमोदन लेना होता है। समिति का हर वर्ष बजट पारित होता है। उसमें स्वीकृत कार्यों के अतिरिक्त कार्यकारिणी की मंजूरी की आवश्यक होती है। अब बिना स्वीकृति भी निर्धारित सीमा में राशि खर्च की जा सकेगी। उदाहरण के तौर कई बार जांच किट खत्म होने से कुछ जांचें बंद हो जाती हैं तो कभी दवाओं की किल्लत हो जाती है। इनकी खरीदी होने में लगभग एक माह लग जाते हैं। अब ऐसी समस्याएं एक-दो दिन में हल हो जाएंगी।
सफाई, दवा खरीदी, उपकरणों का वार्षिक रखरखाव और मरम्मत के लिए डीन व अधीक्षक को क्रमश: पांच लाख और ढाई लाख रुपये के वित्तीय अधिकार मिलेंगे। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार किया है, जिस पर शासन से स्वीकृति मिलनी है। अभी यह अधिकार अलग-अलग कॉलेजों के लिए विभिन्न शीर्ष में अधिकतम 10 लाख रुपये तक का है। मध्य प्रदेश के 14 सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सतना छोड़ दें तो बाकी 13 स्वशासी हैं। मरीजों से शुल्क, विद्यार्थियों की शुल्क और अन्य मदों से आने वाली राशि स्वशासी समिति के खाते में जमा होती है। अचानक कोई आवश्यकता होने पर इस मद से राशि खर्च की जा सकती है, पर इसके लिए कार्यकारिणी से अनुमोदन लेना होता है। समिति का हर वर्ष बजट पारित होता है। उसमें स्वीकृत कार्यों के अतिरिक्त कार्यकारिणी की मंजूरी की आवश्यक होती है। अब बिना स्वीकृति भी निर्धारित सीमा में राशि खर्च की जा सकेगी। उदाहरण के तौर कई बार जांच किट खत्म होने से कुछ जांचें बंद हो जाती हैं तो कभी दवाओं की किल्लत हो जाती है। इनकी खरीदी होने में लगभग एक माह लग जाते हैं। अब ऐसी समस्याएं एक-दो दिन में हल हो जाएंगी।