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कान्ह व सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार, हटेंगे 2595 अवैध कब्जे, नोटिस जारी,510 करोड़ खर्च होंगे

इंदौर साबरमती नदी की तर्ज पर कान्ह व सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार हो गई है। कंसल्टेंट कंपनी मेहता एंड एसोसिएट ने कान्ह, सरस्वती और नहर भंडार क्षेत्र का फिजिबिलिटी सर्वे कर 19.38 किमी क्षेत्र में होने वाले कार्यों की डीपीआर आइडीए को सौंप दी है। इसमें 510.32 करोड़ खर्च होंगे। इस …
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इंदौर 

साबरमती नदी की तर्ज पर कान्ह व सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने की योजना तैयार हो गई है। कंसल्टेंट कंपनी मेहता एंड एसोसिएट ने कान्ह, सरस्वती और नहर भंडार क्षेत्र का फिजिबिलिटी सर्वे कर 19.38 किमी क्षेत्र में होने वाले कार्यों की डीपीआर आइडीए को सौंप दी है। इसमें 510.32 करोड़ खर्च होंगे। इस राशि के लिए आइडीए दिल्ली के आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय से अर्बन चैलेंज फंड की मांग का प्रस्ताव राज्य शासन के माध्यम से भेजेगा। योजना में सरकार नदियों को पुनर्जीवित करने में सहयोग करती है।

कान्ह व सरस्वती को साफ करने के लिए डेढ़ दशक में करोड़ों रुपए नगर निगम ने खर्च किए हैं। नदी से गंदगी निकालने के लिए दर्जनों पोकलेन, जेसीबी और डंपर सालभर चलते हैं। स्टॉर्म वाटर लाइन डालने से कुछ सुधार आया है। साबरमती की तर्ज पर कान्ह-सरस्वती को शुद्ध करने की जिम्मेदारी आइडीए को दी गई है।

ये होंगे काम

कान्ह व सरस्वती नदी की साइट क्लीयरेंस के साथ कुछ जगह रिटेनिंग वॉल बनाई जाएगी। नदी के दोनों ओर स्टॉर्म वाटर लाइन, वाटर सप्लाय, फाउंटेन, पार्किंग, लैंड स्केपिंग, हार्टिकल्चर आदि काम भी होंगे। मालूम हो, सरस्वती नदी का एक हिस्सा राजीव गांधी स्थित नहर भंडार से होते हुए बद्री बाग तो दूसरा हिस्सा तेजपुर गड़बड़ी से अमितेश नगर होते हुए बद्री बाग में मिलता है। यह लालबाग पैलेस के पीछे छत्रीबाग, हरसिद्धि, कृष्णपुरा छत्री तक पहुंचता है। वहीं, कान्ह नदी तीन इमली से छावनी होते हुए कृष्णपुरा छत्री पर पहुंचती है, जहां दोनों का संगम होता है और फिर कबीटखेड़ी पहुंचती है।

कान्ह-सरस्वती को पुनर्जीवित करने व सौंदर्यीकरण की डीपीआर आ गई है। अर्बन चैलेंज फंड के लिए प्रस्ताव भेजा जा रहा है। -आरपी अहिरवार, सीईओ, आइडीए
ढाई हजार बाधा

सवा साल पहले कलेक्टर आशीष सिंह ने कान्ह व सरस्वती नदी का सर्वे कराया था। प्रशासन व नगर निगम के दस दलों की रिपोर्ट में 2595 कब्जे पाए गए थे। कंसल्टेंट कंपनी ने गूगल मैप से नदी के खसरों को नक्शों में उतारा और अवैध कब्जों की पुष्टि की। इन्हें हटाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। पूर्व में भी जिला प्रशासन ने नोटिस जारी किए, लेकिन मुहिम रोक दी गई।

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