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गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य : फादर बाबू

भोपाल। बदलते शैक्षणिक परिवेश और बढ़ते कार्यदबाव के बीच शिक्षकों और विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सबसे मजबूत आधारशिला बनता जा रहा है। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए क्राइस्ट कॉलेज, भोपाल के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल (आरडीसी) द्वारा शनिवार को “मन का महत्व: सकारात्मक शिक्षण–अध्ययन परिवेश हेतु मानसिक कल्याण को बढ़ावा” …
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भोपाल। बदलते शैक्षणिक परिवेश और बढ़ते कार्यदबाव के बीच शिक्षकों और विद्यार्थियों का मानसिक स्वास्थ्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सबसे मजबूत आधारशिला बनता जा रहा है। इसी उद्देश्य को केंद्र में रखते हुए क्राइस्ट कॉलेज, भोपाल के रिसर्च एंड डेवलपमेंट सेल (आरडीसी) द्वारा शनिवार को “मन का महत्व: सकारात्मक शिक्षण–अध्ययन परिवेश हेतु मानसिक कल्याण को बढ़ावा” विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि फादर बाबू, एजुकेशन काउंसलर, सेंट पॉल प्रोविंस ने कहा कि शिक्षक यदि मानसिक रूप से स्वस्थ और संतुलित होंगे तभी वे विद्यार्थियों को बेहतर मार्गदर्शन दे सकेंगे। उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत विषय नहीं है, बल्कि यह संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता से सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। शिक्षकों के तनाव, भावनात्मक थकान और मानसिक दबाव को नजरअंदाज करना भविष्य की पीढ़ी के विकास के लिए घातक हो सकता है।

गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की नींव है शिक्षकों का मानसिक स्वास्थ्य : फादर बाबू

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कॉलेज के प्रबंधक फादर सेबेस्टियन ने कहा कि शैक्षणिक संस्थानों की जिम्मेदारी है कि वे केवल अकादमिक उत्कृष्टता ही नहीं, बल्कि शिक्षकों और विद्यार्थियों के मानसिक कल्याण को भी समान महत्व दें। प्राचार्य फादर जॉनसन ने अपने संबोधन में कहा कि सकारात्मक शिक्षण–अध्ययन वातावरण तभी संभव है जब कक्षा में मानसिक रूप से सुरक्षित और सहयोगी माहौल हो।

कार्यशाला के संयोजक डॉ. दिवाकर सिंह, एसोसिएट प्रोफेसर एवं निदेशक, आरडीसी ने बताया कि वर्तमान समय में शिक्षकों पर प्रशासनिक, अकादमिक और सामाजिक अपेक्षाओं का दबाव लगातार बढ़ रहा है, जिससे तनाव और मानसिक असंतुलन की स्थितियां बन रही हैं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता और नियमित संवाद को समय की आवश्यकता बताया।

कार्यशाला के दौरान मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य के विशेषज्ञों द्वारा शिक्षक कल्याण, छात्र मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन, माइंडफुलनेस और भावनात्मक संतुलन जैसे विषयों पर संवादात्मक सत्र आयोजित किए गए। इन सत्रों में प्रतिभागियों को व्यावहारिक उपायों, अनुभव साझा करने और आत्म-देखभाल की तकनीकों से अवगत कराया गया।

देश के विभिन्न हिस्सों से आए शिक्षकों, शोधार्थियों और विद्यार्थियों ने कार्यशाला में सक्रिय सहभागिता की और इसे अत्यंत उपयोगी बताया। प्रतिभागियों ने कहा कि ऐसे आयोजन न केवल मानसिक स्वास्थ्य को समझने में मदद करते हैं, बल्कि शिक्षा जगत में सकारात्मक बदलाव की दिशा भी तय करते हैं।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. पल्लवी श्रीवास्तव एवं सुश्री जया सैनी का महत्वपूर्ण योगदान रहा। कार्यशाला का समापन मानसिक स्वास्थ्य को शैक्षणिक संस्थानों की प्राथमिकता बनाने के संकल्प के साथ हुआ।

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