Anant TV Live

“जीएसटी में नोटिस तो आएंगे ही, पर सावधानी से बचा जा सकता है” — सीए संजीव मंगल

विवेक झा, भोपाल।टैक्स ला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यशाला में वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए संजीव मंगल ने कहा कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) प्रणाली में नोटिस से पूरी तरह बचना संभव नहीं है, चाहे सरकार कितने भी सुधार या दिशा-निर्देश जारी कर दे। लेकिन सावधानी, पारदर्शिता और समय पर अनुपालन से इन …
 | 

विवेक झा, भोपाल।
टैक्स ला बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यशाला में वरिष्ठ चार्टर्ड अकाउंटेंट सीए संजीव मंगल ने कहा कि जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) प्रणाली में नोटिस से पूरी तरह बचना संभव नहीं है, चाहे सरकार कितने भी सुधार या दिशा-निर्देश जारी कर दे। लेकिन सावधानी, पारदर्शिता और समय पर अनुपालन से इन नोटिसों की संख्या और प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

“जीएसटी में नोटिस तो आएंगे ही, पर सावधानी से बचा जा सकता है” — सीए संजीव मंगल

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा छोटे कारोबारियों को राहत देते हुए यह व्यवस्था की गई है कि 2 करोड़ रुपये से कम वार्षिक टर्नओवर वाले व्यापारियों के लिए जीएसटी वार्षिक विवरणी (Annual Return) अनिवार्य नहीं है, लेकिन फिर भी इसे भरना बेहद आवश्यक है।
सीए मंगल ने सलाह दी कि विवरणी भरने से वर्षभर की खरीदी-बिक्री का मिलान (Reconciliation) संभव हो जाता है। यदि कोई अंतर या त्रुटि पाई जाती है तो समय रहते सुधार के उपाय किए जा सकते हैं, अन्यथा नोटिस आने के बाद करदाता को अधिक कर, ब्याज और दंड का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने बताया कि इस वर्ष जीएसटी वार्षिक विवरणी में एक नया संशोधन किया गया है — अब यदि कर की देनदारी बनती है, तो विवरणी तभी जमा की जा सकेगी जब संबंधित कर राशि का भुगतान पहले कर दिया जाए। पहले यह सुविधा नहीं थी।

कार्यशाला में सीए मंगल ने यह भी उल्लेख किया कि जीएसटी पोर्टल पर कुछ ऐसी जानकारियाँ मांगी जा रही हैं जो कानून में स्पष्ट रूप से वर्णित नहीं हैं। इससे कर सलाहकारों और व्यापारियों को तकनीकी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि विभाग द्वारा हाल ही में जारी प्रश्नोत्तर (FAQs) में व्यापारियों एवं सलाहकारों की कई शंकाओं का समाधान किया गया है, और पिछले फॉर्मों में मौजूद कई तकनीकी त्रुटियों को सुधारा गया है।

कार्यशाला के दौरान उपस्थित कर सलाहकारों ने भी अपने अनुभव साझा किए और व्यावहारिक समस्याओं पर चर्चा की। इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष मृदुल आर्य, उपाध्यक्ष अंकुर अग्रवाल, सचिव मनोज पारख, कोषाध्यक्ष धीरज अग्रवाल सहित वरिष्ठ सदस्य शंकर वसंता और भूपेश खुरपिया उपस्थित रहे।

सत्र का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें संस्थान के पदाधिकारियों ने ऐसे ज्ञानवर्धक और उपयोगी संवादों को नियमित रूप से आयोजित करने का संकल्प भी दोहराया, ताकि करदाताओं और सलाहकारों के बीच जीएसटी अनुपालन को लेकर स्पष्टता और सहयोग का वातावरण बन सके।

Around The Web

Trending News

You May Also Like