“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

विवेक झा, भोपाल। देश में प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इस विषय पर करदाताओं, टैक्स पेशेवरों और वित्तीय विशेषज्ञों को जागरूक करने के उद्देश्य से ICAI (भोपाल…
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“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

विवेक झा, भोपाल। 
देश में प्रस्तावित आयकर विधेयक 2025 को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इस विषय पर करदाताओं, टैक्स पेशेवरों और वित्तीय विशेषज्ञों को जागरूक करने के उद्देश्य से ICAI (भोपाल शाखा) द्वारा रविवार को एक विशेष सेमिनार का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम भोपाल के एम.पी. नगर स्थित होटल अतिशय में संपन्न हुआ, जिसमें देश के सुप्रसिद्ध टैक्स विशेषज्ञ एवं लेखक सीए (डॉ.) गिरीश आहूजा ने मुख्य वक्ता के रूप में शिरकत की।

कार्यक्रम में बड़ी संख्या में चार्टर्ड अकाउंटेंट्स, टैक्स कंसल्टेंट्स, छात्र, व्यापारी और करदाताओं ने भाग लिया। छुट्टी का दिन होने के बावजूद सभागार खचाखच भरा रहा, जो इस विषय की प्रासंगिकता और वक्ता की लोकप्रियता को दर्शाता है।


“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

“पुराने कानून की जटिलता को सरल बनाने का प्रयास है यह नया विधेयक” – डॉ. गिरीश आहूजा

अपने दो घंटे के विस्तृत व्याख्यान में डॉ. आहूजा ने कहा कि यह नया कानून पूरी तरह नया नहीं है, बल्कि मौजूदा आयकर अधिनियम, 1961 की भाषाई, कानूनी और व्यावहारिक जटिलताओं को हटाने का एक प्रयास है। उन्होंने कहा:

“इस ड्राफ्ट बिल में जहां पहले एक्सप्लेनेशन और प्रोविजो जैसे कठिन कानूनी शब्दों का प्रयोग होता था, अब उन्हें स्पष्ट और संरचित उपधाराओं (sub-sections) के रूप में बदला गया है। इससे न केवल कानून को समझना आसान होगा, बल्कि अनुपालन भी सहज होगा।”

उन्होंने बताया कि यह विधेयक फिलहाल संसदीय स्टैंडिंग कमेटी के पास विचाराधीन है और आने वाले वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट सत्र में इसके पारित होने की संभावना जताई जा रही है।


Capital Gain पर विशेष ध्यान: निवेशकों को सावधानी बरतने की सलाह

सेमिनार का एक प्रमुख विषय रहा Capital Gain की गणना, जिसमें डॉ. आहूजा ने बताया कि नए विधेयक में indexation लाभ और लॉन्ग टर्म-शॉर्ट टर्म टैक्स की व्याख्या को अधिक पारदर्शी और नियमबद्ध बनाया गया है। उन्होंने निवेशकों को सचेत करते हुए कहा:

“अगर आपने संपत्ति या म्यूचुअल फंड में निवेश किया है, और आप टैक्स प्लानिंग में चूक करते हैं, तो आपको अनचाहे टैक्स बोझ का सामना करना पड़ सकता है।

उन्होंने कैपिटल गेन की गणना के दौरान सामान्यतः होने वाली गलतियों और भ्रमों को उदाहरणों के साथ समझाया।


“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

“नए कानून में सरलीकरण तो है, पर करदाताओं के लिए जवाबदेही भी बढ़ेगी” : डॉ. गिरीश आहूजा

“टैक्स प्लानिंग और टैक्स चोरी में बड़ा अंतर है” – कर अपवंचन पर चेतावनी

डॉ. आहूजा ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि करदाताओं को टैक्स सेविंग के लिए उचित योजनाएं बनानी चाहिए, लेकिन कानून से बचने या गुमराह करने के प्रयास अब डिजिटल ट्रैकिंग और डेटा विश्लेषण के दौर में सफल नहीं होंगे।

“सरकार अब डेटा एनालिटिक्स, ई-वेरिफिकेशन और AI आधारित टैक्स निगरानी व्यवस्था अपना रही है। ऐसे में टैक्स चोरी की कोई भी कोशिश लंबे समय तक नहीं छुपाई जा सकती।”


ICAI के पदाधिकारियों ने व्यक्त किया आभार

कार्यक्रम का संचालन ICAI भोपाल शाखा के अध्यक्ष सीए अर्पित राय ने किया, जिन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि,

“हमारी कोशिश है कि भोपाल के चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और टैक्स प्रोफेशनल्स को हर नीति बदलाव की सटीक जानकारी सही समय पर मिले।”

कार्यक्रम के अंत में संस्था के सचिव सीए अभिषेक जैन ने सभी अतिथियों, प्रतिभागियों और विशेषकर डॉ. आहूजा का आभार जताया। उन्होंने बताया कि भविष्य में भी इस प्रकार के विषयक सेमिनार आयोजित किए जाते रहेंगे।

इस अवसर पर ICAI के केंद्रीय परिषद सदस्य (CCM) अभय छाजेड़, हंसराज चुग, राजेश जैन, दीपक बाहेती, सुनीता बाहेती सहित कई वरिष्ठ सीए और संस्थान के पूर्व पदाधिकारी भी उपस्थित रहे।

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