सरकारी नौकरी में ‘स्थाई-अस्थाई’ का भेदभाव खत्म, दो बड़े फायदे मिलेंगे कर्मचारियों को
भोपाल
मध्यप्रदेश में जल्द ही शासकीय सेवकों के बीच 50 साल पुराना एक और भेद खत्म होने वाला है। यह नियमित शासकीय सेवाओं में स्थाई और अस्थाई पदों का है, जो मध्यप्रदेश के गठन के साथ ही विभागों के लिए तैयार किए जाने वाले मैनपावर के ढांचे की रचना के समय पैदा हुआ था। तब नए विभाग और नए पद सृजित किए गए थे।
सभी नियमित पद थे, लेकिन तत्कालीन सरकार ने एक समान वेतन, भत्तों और सुविधाओं के बावजूद स्थाई और अस्थाई की श्रेणी में बांट दिया था। तभी से दोनों श्रेणियों में भर्तियां होती रहीं, लेकिन जो शासकीय सेवक अस्थाई पदों पर सेवा देते आ रहे हैं, उन्हें कई कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
कानूनी अड़चनों का सामना
वर्तमान में 7.50 लाख से ज्यादा कुल नियमित पद हैं। इनमें 2 से 5 फीसदी अस्थाई हैं। इस वजह से विभागों को नियंत्रण और प्रबंधन में कई मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो नियमित श्रेणी के अस्थाई पदों पर भर्ती होकर सेवा कर रहे अधिकारी, कर्मचारियों को भी कानूनी अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के मुताबिक यह अहम प्रस्ताव मंगलवार को कैबिनेट बैठक में रखा जा सकता है। सब ठीक रहा तो मंजूरी मिल सकती है। एक जानकारी के अनुसार मंत्रालय सेवा में सहायक अनुभाग अधिकारी 338 हैं। इनमें 284 स्थाई और 54 अस्थाई है। सहायक ग्रेड-2 के 335 पद में 307 स्थाई व 28 अस्थाई हैं। सहायक ग्रेड-3 के कुल 602 पदों में से 534 स्थाई और 68 अस्थाई हैं। वन विभाग की वन सेवा के तहत वन क्षेत्रपाल के कुल 1194 पदों में से 1192 स्थाई और 02 अस्थाई है। इसी तरह दूसरे विभागों में भी है।
अस्थाई पद वालों को होंगे ये दो बड़े लाभ
-ऐसे शासकीय सेवक यदि दूसरी सेवाओं में चयनित होकर काम करना चाहेंगे और तीन वर्ष की अवधि पूरी होने के बाद पुरानी सेवा में वापस आना चाहेंगे तो आ सकेंगे। अभी इन्हें, इसकी पात्रता नहीं है।
-कई बार राज्य व केंद्र के सार्वजनिक उपक्रमों को अनुभवी मैनपावर की जरुरत होती है, वे भर्ती के लिए अधिसूचना जारी करते हैं, जिसमें स्पष्ट उल्लेख होता है कि 3 से 5 साल की नियमित सेवा पूरी कर चुके अभ्यार्थी ही उपक्रमों की भर्ती प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। अभी अस्थाई पदों पर सेवा देने वाले सेवक इन उपक्रमों में शामिल नहीं हो सकते, जिन्हें स्थायी पदों पर संविलियन करने से यह बाधा दूर होगी।
कार्यभारित पदों पर भी होना है निर्णय
मंत्रालय समेत प्रदेश में कई विभागों के अंदर कार्यभारित पद भी है, जिन पर शासकीय सेवकों की नियमित भर्ती होती आ रही है। ये पद भी नियमित के समान ही है। सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इन पदों पर भी निर्णय होना है। बता दें कि नियमित श्रेणी में अस्थाई पद सबसे ज्यादा मंत्रालय सेवा के अलावा सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग, गृह विभाग समेत लगभग सभी विभागों में हैं। जहां बड़ी संख्या में अस्थाई कर्मचारी सेवा दे रहे हैं।
भेद खत्म होने से किस पर क्या पड़ेगा असर सरकार
सेवाओं के प्रबंधन व शासकीय सेवकों पर नियंत्रण में और अधिक मदद मिलेगी। अनावश्यक आदेश-निर्देश की जरुरत नहीं पड़ेगी।
अस्थाई पद: ऐसे जितने भी पद हैं वे धीरेधीरे खत्म होंगे, उन पर कार्यरत शासकीय सेवकों के सेवानिवृत होने के बाद उन पर भर्ती नहीं होंगी। इन पदों को नियमित पदों में शामिल किया जाएगा।
अस्थाई पदों पर सेवारत शासकीय सेवक: ये पूर्व की तरह सेवा में बने रहेंगे। विभाग चाहे तो नियमों में संशोधन कर इन्हें स्थाई श्रेणी में ला सकेंगे।

