राष्ट्रीय आजीविका मिशन द्वारा ‘’उत्पादक समूहों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तीकरण’’ विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला भोपाल में हुई।
राष्ट्रीय आजीविका मिशन द्वारा ‘’उत्पादक समूहों के माध्यम से महिलाओं का सशक्तीकरण’’ विषय पर दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला भोपाल में हुई। पहले दिन राष्ट्रीय आजीविका मिशन दिल्ली की टीम द्वारा और राज्यों एवं सहयोगी संस्थाओं के द्वारा प्रेजेंटेशन दिया गया। दूसरे दिन स्व–सहायता समूहों के उत्पादों का प्रदर्शन तथा वायर-सेलर मीट का आयोजन हुआ। कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में अपर मुख्य सचिव पंचायत एवं ग्रामीण विकास श्री मलय श्रीवास्तव, अतिरिक्त सचिव केन्द्रीय ग्रामीण विकास श्री चरणजीत सिंह, संचालक राष्ट्रीय आजीविका मिशन श्री राघवेन्द्र सिंह, मुख्य कार्यपालन अधिकारी म.प्र राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन श्री एल.एम. बेलवाल, स्टेट मिशन डायरेक्टर आजीविका मिशन गुजरात श्री मनीष बंसल, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आजीविका राजस्थान श्री हरदीप सिंह चौपडा, उप निदेशक राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन श्री रमन बाधवा ने कार्यशाला को संबोधित किया। मध्यप्रदेश सहित 7 राज्यों, सहयोगी संस्थाओं तथा क्रेता कंपनियों के प्रतिनिधियों ने कार्यशाला में भागीदारी की।
उल्लेखनीय है कि केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दीन दयाल अंत्योदय योजना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन में महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत निर्धन श्रेणी के परिवारों का सामाजिक आर्थिक सशक्तीकरण किया जा रहा है। समूहों से जुडी महिलाओं को आजीविका के एक से अधिक अवसर उपलब्ध कराने के लिये मिशन द्वारा वित्तीय सहायता एवं प्रशिक्षण देकर सहयोग किया जाता है।
विभिन्न प्रकार की कृषि एवं गैर कृषि आधारित आजीविका गतिविधियों के रूप में किये जा रहे कामों से महिलाओं द्वारा अनेकों प्रकार के आजीविका उत्पाद बनाये जा रहे हैं। इन उत्पादों की बिक्री के लिये इन्हें डिजीटल प्लेटफार्म पर लाने के साथ उत्पादों की पहुँच बड़े बाजारों में सक्रिय क्रेताओं तक भी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। वृहद बाजारों से जुड कर व्यवसाय में वृद्धि होने से समूह सदस्यों की आय में वृद्धि होगी, जिससे वे गरीबी से मुक्ति पाकर समृद्धि की ओर तेजी से आगे बढ सकेंगी।
महिला उत्पादक समूहों से महिलाओं के सशक्तीकरण के लिये वर्तमान में क्या-क्या किया जा रहा है, निकट भविष्य में क्या किया जायेगा, इन बिन्दुओं पर कार्यशाला में विस्तृत चर्चा की गई। कार्यशाला में मध्यप्रदेश सहित छत्तीसगढ, महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, झारखण्ड एवं तेलंगाना शामिल हुए। केन्द्र सरकार की आधा दर्जन से अधिक सहयोगी संस्थाओं तथा लगभग दो दर्जन क्रेता कंपनियों ने भाग लिया।