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प्रदेश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कल्याण अधिनियम लागू है। वर्ष 2022-23 में लगभग 500 प्रकरणों का निराकरण किया गया।

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सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने बताया कि ऐसे माता-पिता और वरिष्ठजन जिनके बच्चे उनकी देखभाल नहीं करते हैं, के लिए प्रदेश में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कल्याण अधिनियम लागू है। वर्ष 2022-23 में लगभग 500 प्रकरणों का निराकरण किया गया। अधिनियम प्रदेश में 23 अगस्त 2008 से प्रभावशील है। वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा और परित्याग को संज्ञेय अपराध मानते हुए 5 हजार का जुर्माना या 3 माह की सजाया दोनों का ही प्रावधान किया गया है। सभी सरकारी अस्पतालों में वरिष्ठ नागरिकों को बिस्तर उपलब्ध करने और विशेष लाइन बनवाने के निर्देश हैं।

वरिष्ठ नागरिक-अभिभावक उत्तराधिकारी से कर सकते हैं माँग

अभिभावक और वरिष्ठ नागरिक जो अपने स्वयं के अर्जन या अपनी संपत्ति से होने वाली आय से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, वे भी व्यस्क बच्चों और संबंधितों से भरण-पोषण पाने के लिए आवेदन कर सकते हैं। अभिभावक में सगे और दत्तक, सौतेले माता-पिता शामिल हैं। साठ वर्ष से अधिक के वरिष्ठ नागरिक भी उन संबंधितों से भरण-पोषण की माँग कर सकते है, जिनका उनकी संपत्ति पर स्वामित्व है या उनके उत्तराधिकारी हैं।

माता-पिता की उपेक्षा करने पर कर्मचारी-अधिकारी के वेतन से कट सकते हैं 10 हजार रूपये

सभी शासकीय अधिकारी-कर्मचारी जोअपने माता-पिता की उपेक्षा करते हैं, उनके वेतन से 10 प्रतिशत या अधिकतम 10 हजार रूपये काट कर भरण-पोषण भत्ता आवेदक माता-पिता के बैंक खाते में जमा कराने का प्रावधान है। प्रदेश के सभी जिलों के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) कार्यालय भरण-पोषण अधिकरण और जिला मजिस्ट्रेट कोर्ट अपील अधिकरण घोषित हैं। सामाजिक न्याय एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के सभी जिला अधिकारी भरण-पोषण अधिकारी के रूप में पदाभिहित घोषित हैं।

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