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मीजल्स व रुबेला निर्मूलन अभियान के अंतर्गत खसरा दिवस 16 मार्च से जनजागृति सप्ताह के रुप में मनाया जायेगा।

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मीजल्स व रुबेला निर्मूलन अभियान के अंतर्गत खसरा दिवस 16 मार्च से जनजागृति सप्ताह के रुप में मनाया जायेगा। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. शरद हरणे ने बताया कि जनजागरुकता कार्यक्रम के तहत् आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ता के माध्यम से शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में मीजल्स रुबेला टीके के महत्व व सुरक्षा के संबंध में प्रचार प्रसार कर समझााईश दी जायेगी। साथ ही रैली व नारे लेखन के माध्यम से भी प्रचार-प्रचार करंेगे। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. गिरिराज सिंह तोमर ने बताया कि मीजल्स एक गंभीर बीमारी है। खांसने छींकने से यह बीमारी एक बच्चे से दूसरे बच्चे में फैलती है। बच्चे को निमोनिया, दस्त, दिमागी संक्रमण जैसी घातक जटिलताओं के प्रति संवेदनषील बना सकता है। बच्चे में बुखार, शरीर पर लाल दाने, नाक बहना, ऑख आना जैसे लक्षण से इसकी पहचान होती है। बीमारी संक्रमित बच्चे की खांसी के ड्रापलेट के माध्यम से फैलती है एवं इसके लक्षण 7 से 14 दिन में दिखाई देते हैं। रुबेला गर्भवती स्त्री के गर्भ में पल रहा बच्चा अंधा, बहरा, मंदबुद्धि, दिल में छेद जैसी विकृति के साथ पैदा हो सकता है। बच्चे की गर्भ में मृत्यु भी हो सकती है। अगर महिला को गर्भ के आरंभ में रुबेला संक्रमण होता है तो सीआरएस ( जन्मजात रुबेला सिंड्रोम) विकसित हो सकता है। रुबेला संक्रमण को जर्मन मीजल्स के नाम से भी जाना जाता है। वायरस के संपर्क में आने के 2 से 3 दिन बाद चकत्ते आते हैं और ये 3 दिन तक रह सकते हैं। खसरा दिवस के अंतर्गत 16 मार्च से जागरुकता सप्ताह में छुटे हुए बच्चों को मीजल्स रुबेला के टीके भी लगाए जायगें।

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