नई भाजपा सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाएगी।

भाजपा के कई चुनावों के घोषणापत्र का हिस्सा रह चुके 'समान नागरिक संहिता' का जिन्न कर्नाटक में जारी हिजाब विवाद के बाद बाहर आ चुका है। इस बार इस जिन्न को बाहर लाने का काम किया है, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भाजपा के इस चुनावी घोषणा वाले मुद्दे के बाहर आने के साथ ही पक्ष-विपक्ष में भी लोग आ गए हैं।
ज्ञात हो कि एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने शपथ ग्रहण के तुरंत बाद, नई भाजपा सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए एक समिति बनाएगी। यह यूसीसी सभी लोगों के लिए विवाह, तलाक, भूमि-संपत्ति और विरासत के संबंध में समान कानून प्रदान करेगा, चाहे उनकी आस्था कुछ भी हो।
उत्तराखंड के सीएम द्वारा समान नागरिक संहिता की घोषणा पर अपना पक्ष रखते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि मैं पुष्कर सिंह धामी को बधाई और धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने यह कदम उठाया। मैं चाहूंगा कि वह सत्ता में वापस आने पर इसे जल्द से जल्द लागू करें।
इसी मुद्दे पर अपना विरोध जताते हुए एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सीएम (पुष्कर सिंह धामी) को समझना चाहिए कि 'वर्दी' का मतलब आम नहीं होता। बाबासाहेब ने कहा था कि यह स्वैच्छिक होना चाहिए न कि अनिवार्य। AIMIM 'अनेकता में एकता' में विश्वास रखता है। विविधता का क्या अर्थ है? इसका मतलब है कि एक आकार सभी के लिए उपयुक्त नहीं होगा। भारत में कई संस्कृतियां हैं।
ओवैसी ने अपनी बात रखते हुए आगे कहा कि अनुच्छेद 29 कहता है कि प्रत्येक व्यक्ति/समाज को अपनी संस्कृति को संरक्षित/अभ्यास करने का अधिकार है। आप इसका उल्लंघन कैसे करेंगे? क्या हिंदू अविभाजित परिवार पर टैक्स छूट दूसरों को नहीं दी जाएगी? विधि आयोग ने कहा यूसीसी की जरूरत नहीं है। जब आपके (भाजपा) नीचे की जमीन खिसक रही होती है तो आप ऐसा सोचते हैं।