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मां-बाप की मौत से टूटे तीन मासूम, सीएम योगी बने उम्मीद की किरण

लखनऊ 5 जुलाई 2025 की सुबह एक ऐसा दिन बन गया, जब लखनऊ के तीन मासूम बच्चों की दुनिया एक झटके में उजड़ गई. बख्शी का तालाब क्षेत्र के गड़ेरियन पुरवा, भरवारा गांव के रहने वाले अराध्या (15), साक्षी (9) और शैलेन्द्र (2) ने एक सड़क दुर्घटना में अपने माता-पिता को खो दिया. हंसती-खेलती जिंदगी …
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लखनऊ

5 जुलाई 2025 की सुबह एक ऐसा दिन बन गया, जब लखनऊ के तीन मासूम बच्चों की दुनिया एक झटके में उजड़ गई. बख्शी का तालाब क्षेत्र के गड़ेरियन पुरवा, भरवारा गांव के रहने वाले अराध्या (15), साक्षी (9) और शैलेन्द्र (2) ने एक सड़क दुर्घटना में अपने माता-पिता को खो दिया. हंसती-खेलती जिंदगी पल भर में मौन हो गई. कोई सहारा नहीं, कोई आसरा नहीं बस तीन मासूम चेहरे और अनगिनत सवाल.

इन बच्चों को सहारा मिलने की उम्मीद तब जगी, जब स्थानीय विधायक ने इन बच्चों की पीड़ा को अपनी आवाज बनाया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर उनके भविष्य की सुरक्षा हेतु एक भावनात्मक निवेदन किया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस गम्भीर और मार्मिक विषय पर गंभीर संवेदनशीलता दिखाते हुए त्वरित निर्णय लिया. उन्होंने न केवल राहत कोष से सहायता सुनिश्चित की, बल्कि यह स्पष्ट किया कि सरकार इन बच्चों की जिम्मेदार अभिभावक की भूमिका निभाएगी.

मुख्यमंत्री जी ने शासन की शक्ति का समन्वय करते हुए इन बच्चों के लिए एक सुरक्षित और गरिमामय जीवन के लिए बच्चों को स्थायी छत देने को कहा है. जो उन्हें न केवल सुरक्षा देगी, बल्कि आत्मसम्मान का भी अहसास कराएगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘बाल सेवा योजना’ के अंतर्गत तीनों बच्चों को ₹4,000 प्रति माह के हिसाब से कुल 12,000 मासिक सहायता देने को कहा है जिससे उनका पोषण और दैनिक जरूरतें पूरी हो सकें. इतना ही नहीं दुर्घटना में मृत अभिभावकों के नाम पर 5,00,000 रुपए की बीमा सहायता स्वीकृत की गई है. मुख्यमंत्री आर्थिक सहायता कोष से बच्चों की शिक्षा, इलाज और अन्य आवश्यकताओं हेतु नियमित वित्तीय मदद दी जाएगी, ताकि उन्हें किसी भी मोड़ पर समाज से कमतर महसूस न हो.

विधायक योगेश शुक्ला ने कहा बताया कि इन बच्चों का जीवन अब अकेला नहीं रहेगा. मुख्यमंत्री योगी ने जिस संवेदना से इस मामले को अपनाया, वह एक सच्चे जननायक की पहचान है. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की संवेदनशीलता और तीव्र निर्णय क्षमता ने तीन मासूमों को केवल सहायता नहीं दी, बल्कि एक नया भविष्य और आशा का क्षितिज भी सौंपा.

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