9 सितंबर को पडने वाले इस व्रत के लिए राजधानी के बाजारों में जमकर महिलाओं ने खरीदारी की

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 हरतालिका व्रत, जिसे हर साल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को सुहागन स्त्रियों द्वारा निर्जल रहकर व्रत किया जाता है। इसी तैयारियां भी महिलाएं कई दिन पहले से करना प्रारंभ कर देती हैं। यही वजह है कि गुरूवार यानि 9 सितंबर को पडने वाले इस व्रत के लिए राजधानी के बाजारों में जमकर महिलाओं ने खरीदारी की। मालूम हो कि महिलाएं इस व्रत के लिए सोलह श्रृंगार कर मां पार्वती का पूजन करती हैं।

पति की लंबी उम्र मांगने के लिए करती हैं सुहागिन स्त्रियां व्रत
कनाॅट प्लेस स्थित पालिका, जनपथ मार्केट हो या फिर लाजपत नगर, सरोजिनी नगर, लक्ष्मी नगर, तिलक नगर मार्केट हर ओर महिलाओं ने जमकर खरीदारी की। यही नहीं इस त्यौहार को खास बनाने के लिए महिलाओं ने अपने हाथों पर मेंहदी लगवाई और हरी व लाल चूडियां खरीदीं। जहां सुहागिन स्त्रियां इस व्रत को अपने पति की लंबी उम्र मांगने के लिए करती हैं। वहीं कुंवारी लडकियां अच्छे वर की कामना से इस व्रत को रखती हैं। खासकर यह व्रत पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ व मध्य प्रदेश में मनाया जाता है।

कैसे होती है पूजा
शिव-पार्वती की मिट्टी से बनी प्रतिमा की पूजा हरतालिका तीज के दिन की जाती है। महिलाएं सूर्योदय से पहले ही नहाकर पूरा श्रृंगार करती हैं। केले के मंडप में मां पार्वती व शिव की प्रतिमा को सजाती हैं और उनपर श्रृंगार के सामान को अर्पित करती हैं। इस दौरान शिव-पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है। व्रत के दौरान बिस्तर पर नहीं सोना होता है और निर्जल रहना पडता है। अगले दिन स्नान कर अपने से बडी उम्र की सुहागिन स्त्रियों को श्रृंगार का सामान देकर उनका आशीर्वाद लेती हैं। इस दौरान पकवान बनाकर उसका सेवन कर व्रत की समाप्ति की जाती है। कई महिलाएं पार्थिव शिवलिंग बनाकर पानी में भी प्रवाहित करती हैं।

क्या है इससे जुडी कथा
कहा जाता है कि हरतालिका व्रत की कथा को भगवान शिव ने मां पार्वती को सुनाया था कि किस प्रकार उन्होंने पूर्व जन्म में भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी। तब नारदमुनि ने आकर विष्णुजी द्वारा उनके पिता से पार्वती से विवाह करने की बात कही। लेकिन जब यह बात पार्वती को पता चली तो धने वन में जाकर रेत से शिवलिंग बना और भी घोर तपस्या करने लगीं। उनसे प्रसन्न होकर शिव ने दर्शन दिए और वर मांगने को कहा, जिसमें उन्होंने शिव को पति के रूप में मांगा। जब उन्हें खोजते पार्वती के पिता पहुंचे और उन्हें सारी बात पता चली तो शिव-पार्वती का विवाह करवा दिया गया।

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