पद्म पुराण में जया एकादशी व्रत की कथा के बारे में बताया गया है, जिसमें उसके महत्व का भी वर्णन है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिटते हैं

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जया एकादशी का व्रत माघ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या का पाप भी मिट सकता है। जया एकादशी व्रत के दिन रवि योग, त्रिपुष्कर योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग रहेगा। जया एकादशी के दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा अर्चना करते हैं। पद्म पुराण में जया एकादशी व्रत की कथा के बारे में बताया गया है, जिसमें उसके महत्व का भी वर्णन है। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था कि जया एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप मिटते हैं और वह मोक्ष का भागी बन जाता है। इतना ही नहीं, उस आत्मा को प्रेत, पिशाच आदि योनियों से भी मुक्ति मिल जाती है। इस व्रत को करने से ब्रह्म हत्या का पाप भी मिट सकता है।

जया एकादशी की तिथि
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हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस साल १९ फरवरी दिन सोमवार को सुबह ०८ बजकर ४४० मिनट से माघ शुक्ल एकादशी तिथि का शुभारंभ होगा और यह तिथि २० फरवरी मंगलवार को सुबह ०९ बजकर 55 मिनट पर खत्म होगी। उदयातिथि को देखते हुए इस बार जया एकादशी का व्रत २० फरवरी मंगलवार को रखा जाएगा।

"जया एकादशी का पूजा मुहूर्त*
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जया एकादशी के दिन आप भगवान विष्णु की पूजा सूर्योदय के समय से ही कर सकते हैं क्यों​कि उस समय प्रीति योग और रवि योग बना रहेगा। यह शुभ समय रहेगा। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त ०५:१४एएम से ०६:०५ एएम तक रहेगा, वहीं अभिजीत मुहूर्त दोपहर १२:१२ पीएम से १२:५८ पीएम तक रहेगा। यह उस दिन का शुभ मुहूर्त होगा।

४ शुभ योग में जया एकादशी
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जया एकादशी व्रत के दिन ४ शुभ योग बनेंगे। व्रत के दिन रवि योग, त्रिपुष्कर योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग रहेगा। जया एकादशी को प्रीति योग सुबह से लेकर ११:४६ एएम तक रहेगा, उसके बाद से आयुष्मान योग बन जाएगा, जो पूरी रात तक है।

उस दिन रवि योग ०६:५६ एएम से १२:१३ पीएम तक है, वहीं त्रिपुष्कर योग दोपहर १२:१३ पीएम से अगले दिन सुबह ०६:५५ एएम तक रहेगा। व्रत वाले दिन आर्द्रा नक्षत्र प्रात:काल से दोपहर १२:१४ पीएम तक है, उसके बाद से पुनर्वसु नक्षत्र होगा।

जया एकादशी का पारण समय
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जिन लोगों को जया एकादशी का व्रत रखना है, वे लोग व्रत का पारण २१ फरवरी दिन बुधवार को सुबह ०६ बजकर ५५ मिनट से सुबह ०९ बजकर ११ मिनट के मध्य कभी भी कर सकते हैं। उस दिन द्वादशी तिथि समाप्त होने का समय ११ बजकर २७ मिनट पर है। द्वादशी तिथि के समापन से पूर्व ही पारण कर लेना चाहिए। हालांकि एकादशी व्रत पारण में हरिवासर का ध्यान रखा जाता है।

जया एकादशी व्रत की पूजाविधि
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जया एकादशी के दिन सुबह जल्‍दी उठें और स्‍नान के बाद साफ कपड़े पहनकर केले के पेड़ की पूजा करें और उस पर जल चढ़ाएं। इसके बाद पूजा करके भगवान विष्‍णु को पीले फल, पीले मिष्‍ठान और पीले वस्‍त्र दान करें। भगवान की धूप-दीप से आरती करें और तुलसी दल के साथ पंचामृत का भोग लगाएं। भगवान विष्‍णु के मंत्रों का जप करें और मां लक्ष्‍मी की पूजा करें। जया एकादशी के व्रत की कथा का पाठ करें। इस दिन अनाज और फलों का दान भी करना चाहिए।

जया एकादशी व्रत का महत्‍व
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जया एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु की पूजा माधव स्‍वरूप में की जाती है। इस व्रत को करने से आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और आपके लिए भी परलोक का रास्‍ता तय होता है। इस व्रत के महत्‍व के बारे में बताते हुए स्‍वयं भगवान कृष्‍ण ने युधिष्ठिर को कहा था कि इस दिन का उपवास करने से व्‍यक्ति को ब्रह्महत्‍या का पाप नहीं लगता है।

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